यदि आपने कभी अपना घर किराये पर दिया है या किसी किराये के घर में रहे हैं तो संभव है कि आपने रेंट अग्रीमेंट बनाया हो. आपने गौर किया होगा कि ज्यादातर रेंट अग्रीमेंट ११ महीने के लिए बनाये जाते हैं. पर काफी बार न तो मकान मालिक को, न ही किरायेदार को यहाँ तक कि रियल स्टेट एजेंट को भी इसका कारण नहीं पता होता है. चलिए देखते हैं ऐसा क्यों होता है.
रेंट अग्रीमेंट
रेंट अग्रीमेंट जिसे लीज अग्रीमेंट भी कहा जाता है, किरायेदार और मकान मालिक के बीच एक लिखित अनुबंध होता है. इसी अग्रीमेंट में अनुबंध की शर्ते आदि लिखी होती हैं. जैसे कि मकान का पता, मकान का साइज़ और प्रकार आदि मासिक किराया, सिक्यूरिटी डिपाजिट और कार्य जिसके लिए उस प्रॉपर्टी का उपयोग (घरेलु अथवा व्यवसायिक) किया जा सकता है. इस अनुबंध की शर्तो पर किरायेदार और मालिक में निर्णय लिया जा सकता है. परन्तु एक बार दोनों पक्षों के द्वारा हस्ताक्षर करने पर यह दोनों पक्षों पर बाध्य हो जाता है. इसी अग्रीमेंट में अग्रीमेंट को ख़त्म करने की भी शर्ते लिखी जाती हैं.
क्यों होता है अग्रीमेंट ११ महीने का?
ज्यादातर अग्रीमेंट ११ महीने के बनाये जाते हैं ताकि उन पर स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करने से बचा जा सके. रजिस्ट्रेशन एक्ट, १९०८ के अनुसार यही लीज की अवधि १२ महीने से ज्यादा की है तो उस लीज अग्रीमेंट का पंजीकरण करना जरुरी हो जाता है. यदि किसी लीज अग्रीमेंट को पंजीकृत कराया जाता है तो उस पर रजिस्ट्रेशन फीस और स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान जरुरी हो जाता है.
उदाहरण के लिए दिल्ली में ५ साल की अवधि के लिए स्टाम्प पेपर की कीमत एक साल के औसत किराये के २% के बराबर है. वहीँ ५ साल से अधिक और १० साल से कम की अवधि के लिए यह सालाना औसत किराए के ३% के बराबर है. १० वर्ष से अधिक और २० वर्ष से कम के लिए यह सालाना औसत किराए का ६% है. यदि अग्रीमेंट सिक्यूरिटी डिपाजिट के बारे में भी अनुबंध है तो १०० रूपये और जोड़ लें. स्टाम्प पेपर मालिक या किरायेदार किसी के भी नाम पर ख़रीदा जा सकता है. इसके अलावा ११०० रूपये का पंजीकरण शुल्क भी देना होता है. यह शुल्क डिमांड ड्राफ्ट के रूप में जमा करना होता है.
यदि कोई मकान २ साल के लिए किराये पर दिया जाता है जिसमे पहले साल का किराया २०,००० रूपये महिना और अगले साल का किराया २२,००० रूपये महिना है. तो इसका औसत सालाना किराया २१,००० * १२ होगा. जिसका २% होता है ५०४० रूपये. यदि इसमें सिक्यूरिटी डिपाजिट भी है तो १०० रूपये उसके जोड़ लें. और ११०० रूपये पंजीकरण शुल्क के मिला के कुल ६,२४० रूपये का खर्च बनता है. उसके अलावा वकील या अन्य कागजी कार्यवाही करने वाले व्यक्ति पर अलग खर्च होगा.
इसी खर्च से बचने के लिए मकान मालिक और किरायेदार आपसी समझौते के आधार पर ११ महीने का अग्रीमेंट बना लेते हैं. हालाँकि यदि आप अपने लीज का पंजीकरण करवाना चाहते हैं तो उस खर्च के मकान मालिक और किरायेदार आपस में बाँट सकते हैं और पंजीकरण करवा सकते हैं.